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Channel: मुसाफिर हूँ यारों
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बेदिनी बुग्याल

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बेदिनी बुग्याल रूपकुण्ड के रास्ते में आता है। इसकी समुद्र तल से ऊंचाई करीब 3400 मीटर है। बुग्याल एक गढवाली शब्द है जिसका अर्थ होता है ऊंचे पहाडों पर घास के मैदान। ये मैदान ढलानदार होते हैं। गढवाल में कुछ अन्य बुग्याल हैं- औली, चोपता, दयारा, पंवालीकांठा। इनमें औली और चोपता तक सडक बनी है, इसलिये ज्यादा लोकप्रिय भी हैं। औली बुग्याल में जब जाडों में बर्फ पडती है तो वहां शीतकालीन खेल भी आयोजित होते हैं।
बेदिनी बुग्याल कैम्प साइट से कुछ दूर बेदिनी कुण्ड है जहां एक कुण्ड है और नन्दा देवी का छोटा सा मन्दिर है। मैं आज नीचे वान से यहां आया तो बेहद थक गया था। ना चाहते हुए भी एक चक्कर बेदिनी कुण्ड का लगाकर वापस कैम्प साइट तक आया तो काफी आराम महसूस हुआ। करीब दो घण्टे बाद फिर बेदिनी कुण्ड गया तो शरीर पूरी तरह वातावरण के अनुसार ढल चुका था। यानी कल ही रूपकुण्ड जाना है, शरीर ने इसकी अनुमति दे दी थी।
बेदिनी बुग्याल से सूर्यास्त का नजारा बडा शानदार था।
आज यहां मुख्य रूप से दो ग्रुप आये हुए थे- एक आईएएस अफसर और दूसरा ग्रुप इण्डियाहाइक। इण्डियाहाइक एक ट्रेकिंग कम्पनी है, जो इस ट्रेक के लिये कम से कम आठ हजार रुपये ले रही थी। मैंने भी अपना टैण्ट इनके टैण्टों के पास ही लगाया। इसका मुझे विशेष फायदा तो नहीं था लेकिन उनकी बातचीत और आगे की योजना सब पता चल जाती थी।
आईएएस अफसरों में एक तमिलनाडु का था, नाम था पलम्बलम। हमारी बातचीत की शुरूआत हुई बेदिनी कुण्ड के किनारे और काफी देर तक रूपकुण्ड के रहस्यों को लेकर चर्चा होती रही। जितनी मुझे अंग्रेजी आती है, उससे अच्छी उसे हिन्दी। फिर तो अगले दो दिनों तक जितनी बार भी मिलते, उतनी बार ही कुछ ना कुछ बातचीत होती।
मुझे जल्दी ही पता चल गया कि इण्डियाहाइक वाले कल आराम से उठेंगे और रूपकुण्ड से पांच किलोमीटर पहले भगुवाबासा तक ही जायेंगे। जबकि आईएएस अधिकारी सुबह चार बजे निकलेंगे और रूपकुण्ड देखकर शाम तक वापस भी आ जायेंगे। तो इस तरह मेरा कार्यक्रम आईएएस अधिकारियों के साथ मेल खा रहा था।
आईएएस अफसरों का गाइड देवेन्द्र मेरे पास आया, पूछने लगा कि तुम अकेले ही हो ना। मैंने कहा कि हां, अकेला ही हूं। बोला कि क्या मैं तुम्हारे टैण्ट में रुक सकता हूं। मैंने कहा कि मुझे कोई दिक्कत नहीं है लेकिन मेरे पास एक ही स्लीपिंग बैग है। कहने लगा कि उसकी कोई चिन्ता मत करो। इधर मुझे भी इससे कोई दिक्कत नहीं थी। मैं यहां जब आया था तो इसी भरोसे आया था कि लोकल आदमियों के टैण्ट में रात गुजरेगी। अब जब मेरा खुद का टैण्ट है, तो मेरा फर्ज बनता है कि जरुरतमन्द की सहायता करूं। हालांकि अगर मैं ना होता, तो देवेन्द्र के लिये चिन्तित होने की कोई बात नहीं थी।
देवेन्द्र ने कहा कि खाने के लिये आईएएस वालों की कैण्टीन में ही आ जाना। जहां तीस आदमी खाना खायेंगे, तुम भी खा लेना। यह मेरे लिये खुशी की बात थी क्योंकि फ्री में डिनर जो मिलने वाला था। जिस समय खाना खाया गया, ठण्ड इतनी ज्यादा थी कि प्लेटें हाथ में बुरी तरह कांप रही थी। खुले में खुद लो, खुद खाओ के हिसाब से खाना पड रहा था और जरुरत से आधा खाना ही खाया गया।
खाना खाकर मैं टैण्ट में स्लीपिंग बैग में जा घुसा। देवेन्द्र अभी भी बाहर के काम देख रहा था, मैं तो सो गया, जब वो सोने आया।
उधर अफसरों ने खाना खाकर कल की योजना बनानी शुरू की। उनके लिये कैम्प फायर का आयोजन था, जो कि मेरे टैण्ट से करीब दस मीटर दूर था। सारी बातचीत सुनाई पड रही थी। उन्होंने तय किया कि हर हाल में सुबह चार बजे निकल पडना है। चार बजे निकलने के लिये तीन बजे उठना भी तय हुआ। इधर मैंने भी सोच लिया कि पांच बजे उठूंगा और पांच बजकर दस मिनट पर निकल पडूंगा। मेरे लिये यात्रा में दैनिक क्रिया-कलाप और शारीरिक जरुरतें नाम की कोई चीज नहीं होती। बैग में बिस्कुट नमकीन, रेनकोट, पानी की बोतल, कैमरा, दो तीन खाली पन्नियां आदि रख ली, बाकी सामान टैण्ट में छोड दिया।
देवेन्द्र ने मुझसे कहा कि हम लोग चार बजे निकल पडेंगे, तुम भी हमारे साथ ही चल देना। मैंने इन्कार कर दिया कि तुम चले जाना, मैं पांच बजे निकलूंगा। आगे रास्ते में तुम्हें पकड लूंगा। और हां, मुझे उठाना भी मत।
अगले दिन मैं पांच बजे उठा। टैण्ट के बाहर खूब आवाजें आ रही थीं, जिसका मतलब था कि अफसर लोग अभी भी यहीं हैं और सभी जगे हुए हैं और निकलने की तैयारी में हैं। टैण्ट भी खूब हिल रहा था, जिसका अर्थ था कि तेज हवा चल रही है, शुरू में धूप निकलने तक डटकर कपडे पहनने पडेंगे।
और जिस समय मैं रूपकुण्ड के लिये चला, ठीक उसी समय अफसर भी चल पडे। इससे पहले देवेन्द्र ने मेरा बैग लेकर उसमें दोपहर के खाने के लिये पूरियां और सब्जी रख ली। मैंने अपने साथ कैमरा और पानी की बोतल ही ली।
बेदिनी कुण्ड से थोडा ही आगे निकले थे कि एक अफसरनी ने मुझे रोका और कहा कि तुम हमारे फोटो मत खींचो, क्योंकि यह हमारी ऑफिशियल यात्रा है। मैंने कहा कि मैं तुम्हारे किसी के फोटो नहीं खींच रहा हूं। तुम चूंकि बाइस जने हो, इसलिये हो सकता है कि एकाध फोटो में तुममें से कोई आधा अधूरा आ गया हो, लेकिन मेरी दिलचस्पी तुम्हारे फोटो खींचने में नहीं है। उसे मेरी बात का यकीन नहीं हुआ। बोली कि कैमरा चैक कराओ।
कल रात भी इसी तरह का वाकया हुआ था जब कैम्प फायर का फोटो लेते समय उन्होंने मुझे अंग्रेजी में काफी सुनाई थी। उन्होंने मुझे इस तरह सुनाई जैसे कि मैं कोई अपराधी हूं। आज फिर सुबह सवेरे यही नाटक दोहराया गया तो मेरा पारा चढ गया। हालांकि मैंने कहा तो कुछ नहीं, बडे आदमी थे, लेकिन बे-मन से कैमरा दे दिया। कैमरे में उनका कोई ‘आपत्तिजनक’ फोटो ना तो था, ना ही उन्हें मिला। इस घटना के बाद मेरा मन इन अफसरों से पूरी तरह विरक्त हो गया। फिर मैंने उनसे कोई मतलब नहीं रखा, यहां तक कि दोपहर को खाने के समय भी नहीं। और हां, मेरे मना करने के बावजूद भी उन्होंने कैमरा चैक किया, यह मेरा घोर अपमान था और इस अपमान के लिये मेरे शब्दकोश में उनके लिये माफी जैसा कोई शब्द नहीं है।
हालांकि कैमरे में एक ‘आपत्तिजनक’ फोटो जरूर था जिसमें दिखाया गया था कि इन लोगों ने बेदिनी बुग्याल में चाय पीकर प्लास्टिक के कप चारों तरफ फेंक दिये। वो भी तब लिया, जब मैं भी दुकान पर बैठा चाय पी रहा था तो स्थानीय लोगों ने कहना शुरू किया कि वो देखो, वे आईएएस अफसर हैं, चाय के कप किस तरह चारों तरफ फेंक रहे हैं।

बेदिनी बुग्याल में क्रिकेट का मजा

और दे बल्ला घुमा के

दोपहर बाद हिमालय की ऊंचाईयों पर बादल आ ही जाते हैं।

बेदिनी बुग्याल

बेदिनी बुग्याल

जाटराम

बेदिनी कुण्ड

बेदिनी कुण्ड के किनारे नन्दा देवी मन्दिर


बेदिनी कुण्ड

बेदिनी कुण्ड के किनारे नन्हा ताजा जीव

बेदिनी बुग्याल में सूर्यास्त होने वाला है।










जाटराम अपने टैण्ट के पास





बादलों का रंग देखिये। 




सूर्यास्त के समय त्रिशूल चोटी

बेदिनी कुण्ड में त्रिशूल का प्रतिबिम्ब
बेदिनी कुण्ड के किनारे


बादल


और यह है अफसरों का ’आपत्तिजनक’ फोटो जिसमें इनके चारों तरफ प्लास्टिक के कप बिखरे पडे हैं। इन्होंने चाय पी और कप ऐसे ही गैर-जिम्मेदाराना तरीके से फेंक दिये। इनके इस काम की चर्चा स्थानीय कम पढे लिखे लोगों में खूब रही, क्योंकि ये लोग कोई छोटे मोटे लोग नहीं हैं। ये देश को चलाने वाले हैं। इनमें कोई जिलाधिकारी है, कोई कमिश्नर है, कोई कुछ है, कोई कुछ है।
अगले भाग में जारी...

रूपकुण्ड यात्रा
1. रूपकुण्ड यात्रा की शुरूआत
2. रूपकुण्ड यात्रा- दिल्ली से वान
3. रूपकुण्ड यात्रा- वान से बेदिनी बुग्याल
4. बेदिनी बुग्याल
5. रूपकुण्ड यात्रा- बेदिनी बुग्याल से भगुवाबासा
6. रूपकुण्ड- एक रहस्यमयी कुण्ड
7. रूपकुण्ड से आली बुग्याल
8. रूपकुण्ड यात्रा- आली से लोहाजंग
9. रूपकुण्ड का नक्शा और जानकारी


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