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Channel: मुसाफिर हूँ यारों
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अहमदाबाद-उदयपुर मीटर गेज रेल यात्रा

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19 फरवरी 2013
सुबह साढे पांच बजे प्रशान्त का फोन आया। मैंने बताया कि स्लीपर के वेटिंग रूम में प्रवेश द्वार के बिल्कुल सामने पडा हुआ हूं। बोला कि हम भी तो वहीं खडे हैं, तू दिख ही नहीं रहा। तब मैंने खेस से मुंह बाहर निकाला, सामने दोनों खडे थे।
पौने सात बजे प्लेटफार्म नम्बर बारह पर पहुंच गये। यहां से मीटर गेज की ट्रेनों का संचालन होता है। एक ट्रेन खडी थी। हमारा आरक्षण शयनयान में था। इसलिये शयनयान डिब्बे को ढूंढते ढूंढते शुरू से आखिर तक पहुंच गये, लेकिन डिब्बा नहीं मिला। ध्यान से देखा तो यह छह पचपन पर चलने वाली रानुज पैसेंजर थी। समय होने पर यह चली गई।
इसके बाद अपनी पैसेंजर आकर लगी। शयनयान का एक ही डिब्बा था। मेरी और प्रशान्त की सीटें पक्की थी, जबकि नटवर अभी तक प्रतीक्षा सूची में था। यहां जब नटवर का नाम भी पक्कों में देखा तो सुकून मिला।
केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक से कुछ बॉडी बिल्डर भी इसी शयनयान में यात्रा कर रहे थे। इनकी संख्या तीस के आसपास थी, इसलिये कोई भी सीट खाली नहीं थी। ये किसी प्रतियोगिता में भाग लेने उदयपुर जा रहे थे। मेरे लिये यह बडी हैरान करने वाली बात थी कि ये लोग अहमदाबाद से उदयपुर जाने के लिये मीटर गेज में यात्रा क्यों कर रहे हैं। पता चला कि ये आज ही चेन्नई से अहमदाबाद आये हैं। अहमदाबाद से उदयपुर के लिये इनकी नजर में यही एकमात्र रूट था। वापसी भी ये इसी रास्ते करेंगे लेकिन रात्रि ट्रेन से। मैंने बताया कि उदयपुर बडी लाइन से शेष भारत से अच्छी तरह जुडा है। यहां से दिल्ली, कोलकाता और मुम्बई के लिये नियमित ट्रेनें हैं। आपको मुम्बई में गाडी बदलकर उदयपुर वाली गाडी पकड लेनी थी। यह सुनकर वे बडा अफसोस करने लगे। मीटर गेज की महा-धीमी चाल से वे बुरी तरह उकता गये थे।
नटवर के पास एक डीएसएलआर कैमरा है। कैमरा देखते ही मैंने प्रार्थना की मुझे फोटोग्राफी के तकनीकी आयाम सिखाओ। मैं अभी तक कैमरे को ऑटो मोड में रखकर फोटो खींचता था, जबकि असली फोटोग्राफर कभी भी इस मोड का इस्तेमाल नहीं करता। ऑटो मोड में हमें जो फोटो मिलते हैं, वे कैमरे की मनमर्जी के होते हैं। मैन्युअल मोड में हम अपनी मनमर्जी के फोटो ले सकते हैं। नटवर ने मुझे इस दिशा में आगे बढने के लिये कई सुझाव दिये। उसके बाद सभी फोटो मैंने मैन्युअल मोड में खींचे।
नटवर अपने साथ एक स्लीपिंग बैग भी लाया था, जो मेरे हिसाब से बिल्कुल व्यर्थ की चीज थी। लेकिन नटवर रातभर उसी में घुसा रहा इसलिये उसके हिसाब से यह व्यर्थ की चीज नहीं थी। उधर मैं ओढने ले लिये एक पतला सा खेस लाया था।
गुजरात-राजस्थान के बीच पहले कभी तीन रूट थे, तीनों मीटर गेज लेकिन अब यही रूट बचा है। बाकी दोनों यानी महेसाना-आबू रोड और भिलडी-समदडी बडे हो गये हैं। यह रूट भी जल्दी ही बन्द हो जायेगा, काम चल रहा है।
असारवा, सहिजपुर, सरदारग्राम, नरोडा, डभोडा के बाद है नांदोल दहेगाम। अहमदाबाद से इस रूट पर चलने वाली कई ट्रेनें यहीं से वापस मुड जाती हैं। कुछ ट्रेनें हिम्मतनगर तक जाती हैं। हिम्मतनगर एक जंक्शन है जहां से उदयपुर के अलावा दूसरी लाइन खेडब्रह्म जाती है। खेडब्रह्म में ब्रह्माजी का मन्दिर है।
हिम्मतनगर तक यह ट्रेन फास्ट पैसेंजर के रूप में चलती है यानी कहीं रुकती है, कहीं नहीं रुकती। लेकिन हिम्मतनगर के बाद हर स्टेशन पर रुककर चलती है। आखिर हिम्मतनगर से उदयपुर के बीच यही एकमात्र पैसेंजर गाडी चलती है। हालांकि एक ट्रेन रात में भी चलती है लेकिन वह एक्सप्रेस है।
मैंने नटवर के कहे अनुसार मैन्युअल मोड में फोटो लेने शुरू कर दिये। लेकिन सिखदड खिलाडी को कभी भी चलती गाडी में मैन्युअल मोड में फोटो नहीं लेने चाहिये। दृश्य तेजी से बदलते रहते हैं। जब तक कैमरे को ऑन करके सैटिंग करते हैं, तब तक गायब हो जाते हैं। इसी जल्दबाजी की वजह से कई फोटो खराब हो गये। कभी काला फोटो आता, तो कभी धुत्त सफेद। तय हुआ कि अप्रैल में मैं और नटवर हिमालय पर किसी ट्रेकिंग पर जायेंगे, तब वह मुझे और ज्यादा फोटोग्राफी सिखायेगा।
नटवर का एक मित्र मॉरीशस में रहता है। उसने नटवर के लिये निमन्त्रण भेजा है, लेकिन बेचारा डर रहा है। उसे असल में हवाई यात्रा का डर है। मैं हवाई यात्रा का हाल ही में अनुभव ले चुका हूं, तो बार बार यही पूछता रहा कि तुम्हें भी डर लगा क्या हवाई जहाज में?
प्रशान्त के पास कोई कैमरा नहीं है, उसे फोटो खींचने आते भी नहीं है; फिर भी हम दोनों खासकर नटवर ने उसे शटर दबाना सिखा दिया और वह भी फोटोग्राफर बन गया। प्रशान्त उदयपुर पहुंचकर अपने गुरूओं को भोज देगा।
प्रान्तिज में खेडब्रह्म से आने वाली पैसेंजर मिली। दोनों गाडियों ने एक दूसरी को अभिवादन किया।
हिम्मतनगर में स्टेशन के अन्दर खाने की कोई दुकान नहीं मिली। दो ठेले बाहर खडे थे, प्लेटफार्म से बिल्कुल चिपककर जाली के उस तरफ। एक फलवाला और दूसरा पकौडे वाला। हमने दोनों का आनन्द उठाया।
यहीं दो पुलिसवाले मिले। मुझे फोटो खींचते देख कहने लगे कि तुम्हें पता है कि स्टेशनों पर फोटो खींचना मना होता है। साथ ही चार बातें और सुना दीं। मैंने कहा कि स्टाफ...। बस, चमत्कार हो गया। आगे कुछ नहीं पूछा। कहने लगे कि हमें लग रहा था कि आप स्टाफ के हो। खींचो, खींचो, खूब फोटो खींचो।
ये रेलवे पुलिस वाले मुझे फालतू के ही लगते हैं। मैं इंजन के सामने खडा होकर फोटो खींच रहा था, दोनों लोको पायलट देख रहे थे। हमारा ठिकाना सबसे पीछे का डिब्बा था, गार्ड से दोस्ती हो गई थी। गार्ड ने पूछा भी कि आप फोटो का करते क्या हो, तो जवाब था कि मजे लेते हैं। कभी भी स्टेशनों पर फोटो खींचने में कोई आपत्ति नहीं मिली। कभी कभी तो ये रेलवे पुलिस वाले टिकट भी चेक करने लगते हैं। पांच साल पहले मैं गुडगांव से दिल्ली जा रहा था। पैसेंजर का टिकट ले लिया। आ गई आश्रम एक्सप्रेस। यह सुपरफास्ट ट्रेन है। मैं चढ लिया इसमें। दिल्ली छावनी जाकर जब मैं प्लेटफार्म पर टहल रहा था तो एक पुलिस वाला आया और टिकट के लिये पूछने लगा। मैंने उसे वही पैसेंजर का टिकट दिखा दिया। उसने देखा गुडगांव से दिल्ली और टिकट वापस कर दिया। रेलवे में टिकट चेक करने के लिये लम्बा चौडा स्टाफ होता है, फिर क्यों ये लोग अपने को रेलवे कर्मचारी सिद्ध करने पर तुले रहते हैं?
एक स्टेशन मिला- रायगढ रोड। रायगढ स्टेशन छत्तीसगढ में है जबकि रायगढ रोड यहां गुजरात में।
शामलाजी रोड स्टेशन से शामलाजी धाम के लिये रास्ता गया है। इससे अगला स्टेशन लुसाडीया गुजरात का आखिरी स्टेशन है। इसके बाद राजस्थान शुरू हो जाता है और राजस्थान का पहला स्टेशन है जगाबोर।
शामलाजी रोड के बाद ही पहाडियां शुरू हो जाती हैं, जो उदयपुर तक साथ देती हैं।
हिम्मतनगर में ही थोडी सी पकौडियां और अंगूर खाये थे, अब भूख लगने लगी। लेकिन सभी स्टेशन खाली पडे हैं। कहीं भी कुछ नहीं मिल रहा। डूंगरपुर से उम्मीदें हैं।
डूंगरपुर वैसे तो राजस्थान का एक जिला है लेकिन यहां भी कुछ नहीं मिला सिवाय तीन क्रीम-रोल के। तीनों ने मिलबांट कर क्रीम रोल खाये।
दक्षिण वाले बॉडी बिल्डर इस बोरिंग यात्रा से पक चुके हैं। सब सोये पडे हैं, जो जगे हैं वे खिडकी पर जा खडे होते हैं लेकिन ज्यादा देर तक टिकते नहीं।
देखा कि सबसे पीछे वाला जनरल डिब्बा पूरी तरह खाली है। हम अपना साजो-सामान लेकर जनरल में ही चले गये। यह बडी दुर्लभ घटना थी। किसी की स्लीपर डिब्बे में आरक्षित बर्थ हो, तो उसका जनरल में स्वेच्छा से जाना दुर्लभ ही कहा जायेगा। यहां काफी दूर तक हम तीन प्राणी ही इस डिब्बे के मालिक रहे।
कई स्टेशनों पर साइडिंग वाली लाइनें उखाडकर उन्हें हाल्ट बना दिया है। इस मीटर गेज को बडा करने का काम चालू हो चुका है। मुझे नहीं लगता कि यह लाइन दो साल और चल पायेगी।
हर दूसरे तीसरे स्टेशन पर गार्ड टिकट बांटता नजर आया।
जावर में समोसे मिले। एक नन्हीं सी दुकान और पूरी ट्रेन की सवारियां भूखी प्यासी उसी पर टूट पडी। मुझसे भी बुरी हालत नटवर और प्रशान्त की थी। सबसे पीछे वाले डिब्बे में बैठने का नतीजा मिला। जब तक मुझे कुछ पता चलता, देखा कि वे दोनों जंग लड रहे हैं। समोसे की दुकान पर जंग लडकर इन्होंने छह समोसे लेने में कामयाबी हासिल कर ली। दोबारा गये तो खाली दुकान में एक आदमी बैठा था और चिल्ला रहा था- कुछ नहीं है, कुछ नहीं है।
जावर के बाद एक सुरंग भी मिली जिसपर 1964 लिखा था। यह सुरंग दो सौ मीटर से ज्यादा लम्बी है।
उमरा यानी उदयपुर से पहले आखिरी स्टेशन। यहां गाडी काफी देर तक खडी रही। गाडी के सबसे पीछे जाकर कपलिंग पर चढकर कई फोटो खींचे। यहीं उदयपुर से अहमदाबाद जाने वाली मीटर गेज की एक्सप्रेस गाडी निकली। ताज्जुब हुआ कि इसमें थर्ड एसी का डिब्बा भी था। इसके सभी डिब्बों की डेंटिंग पेंटिंग काफी अच्छी क्वालिटी की थी।
समय से पन्द्रह मिनट पहले ही उदयपुर पहुंच गये।
इस गाडी में एक खास बात दिखाई दी। यह गाडी पश्चिम रेलवे की है। लेकिन इसमें कई डिब्बे दूसरे जोन के भी लगे थे- पूर्व मध्य, पूर्वोत्तर आदि। किसी यात्री गाडी में ऐसा नहीं होता।
नटवर की इच्छानुसार स्टेशन से करीब एक किलोमीटर दूर एक भोजनालय में खाना खाने गये। दिनभर के भूखे थे हम, यहां साठ रुपये में भरपेट भोजन मिल रहा था।
अब हमें रतलाम जाना है।

जाटराम और नटवर




प्रशान्त को फोटोग्राफर बना दिया। 


हिम्मतनगर में





यह फोटो नटवर ने खींचा है। यहां बैठकर मैंने जो फोटो खींचा, वो नीचे वाला है।

















गार्ड टिकट देता हुआ।


बहुत से स्टेशनों से साइड वाली पटरियां उखाडकर उन्हें हाल्ट बना दिया है।







जावर स्टेशन पर समोसे और चाय मिल गई- ऊंटों के मुंह में जीरा इसी को कहते हैं। यह प्रशान्त है, पीछे नटवर भी चाय ला रहा है।

मीटर गेज का डिब्बा।



यह डिब्बा पूर्व मध्य रेलवे का है। इसी तरह के और भी कई डिब्बे लगे हैं इसमें।

उदयपुर अहमदाबाद एक्सप्रेस (19443)


अगले भाग में जारी...

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